क्या ओम प्रकाश राजभर ‘जहूराबाद विधानसभा सीट’ से अपनी विधायिकी बचा पाएंगे?

क्या ओम प्रकाश राजभर ‘जहूराबाद विधानसभा सीट’ से अपनी विधायिकी बचा पाएंगे?

यूपी में विधानसभा चुनाव की तारीखें नज़दीक आते ही प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है. इस बार योगी और अखिलेश के अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर पर भी लोगों की नज़र है.

जहूराबाद, यूपी: यूपी में विधानसभा चुनाव की तारीखें नज़दीक आते ही प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है. इस बार योगी और अखिलेश के अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (UP Vidhan Sabha Chunav 2022) पर भी लोगों की नज़र है. वर्तमान में वे यूपी के जहूराबाद विधानसभा सीट (Zahoorabad Assembly Constituency) के विधायक हैं.देखा जाए तो जहूराबाद एक चर्चित सीट है. कहा जाता है कि पूर्वांचल की महत्वपूर्ण सीटों में एक सीट जहूराबाद है. इस बार ये सीट इसलिए मायने रखती है क्योंकि ओमप्रकाश राजभर फिर से अपनी किस्मत अजमा रहे हैं.

जहूराबाद विधानसभा सीट की खासियत

आंकड़ों के मुताबिक, यहां 3 लाख 75 हज़ार से ज़्यादा मतदाता हैं. यह क्षेत्र दलित और राजभर बाहुल्य क्षेत्र है. इसके अलावा इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम और राजपूत मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है. पिछले विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को 86,583 वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के कालीचरण को 68,502 वोट मिले थे. जीत का अंतर 18,081 वोट था. 2012 के चुनाव में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी.

अब तक के विधायक

1980 और 1985 में सुरेंद्र सिंह, 1989 में वीरेंद्र सिंह, 1991 में सुरेंद्र सिंह, 1993 में इश्तियाक अंसारी, 1996 में भाजपा के गणेश राजभर विधायक निर्वाचित हुए थे. 2002 और 2007 में बसपा के कालीचरण राजभर को जनता ने विधायक चुना था. 2012 में सपा के सैयदा शादाब फातिमा इस क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुई थीं. 2017 में सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर यहां के विधायक चुने गए थे.

कौन हैं ओपी राजभर?

ओम प्रकाश राजभर का जन्म वाराणसी के फत्तेपुर खौंदा सिंधौरा गांव में हुआ था. ओम प्रकाश के पिता एक खानकर्मी थे. वो कोयला खदान में काम करते थे. ओम प्रकाश राजभर कांशीराम से काफी प्रभावित हैं. राजनीति की शुरुआत उन्होंने कांशीराम के साथ ही की. पहला चुनाव उन्होंने बसपा के टिकट से ही लड़ा था. बसपा छोड़ने के बाद वो अपना दल में चले गए. बाद में अपना दल से अलग होकर उन्होंने 27 अक्टूबर 2002 को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना की. 2017 में विधायक बनने से पहले वे तीन बार विधायिकी चुनाव भी लड़ चुके हैं. मगर उनको 2017 में सफलता मिली. 2019 में उन्होंने मंत्रीपद छोड़ दिया और भाजपा से गठबंधन भी तोड़ दी. वर्तमान में वो अखिलेश यादव की पार्टी के साथ मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

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