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UP Nikay Chunav: ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर क्या संदेश देना चाह रहे सुभासपा प्रमुख Om Prakash Rajbhar?

UP Nikay Chunav: ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर क्या संदेश देना चाह रहे सुभासपा प्रमुख Om Prakash Rajbhar?

Om Prakash Rajbhar: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर नया मौका तलाशने की फिराक में हैं। निकाय चुनाव के बाद 2024 का लोकसभा चुनाव है। इसे देखते हुए वह अपनी राजनीतिक पैठ को परखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्‍होंने लखनऊ से मेयर पद के लिए ब्राह्मण प्रत्‍याशी अलका पांडेय को उम्‍मीदवार बनाया है।

संदीप तिवारी, लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी नगर निकाय चुनाव (up nagar nikay chunav) को लेकर निर्वाचन आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है। नामांकन प्रक्रिया भी मंगलवार से शुरू हो गई। अभी सभी राजनीतिक दलों ने अपने- अपने प्रत्याशियों को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। बुधवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने यूपी में 5 नगर निगम, 17 नगर पंचायत और 87 नगर पालिका के उम्मीदवारों की सूची कर दी है। इसमें लखनऊ, प्रयागराज, गाजियाबाद, वाराणसी, कानपुर से मेयर पद के उम्मीदवारों का नाम शामिल है। वहीं लखनऊ से मेयर प्रत्याशी अलका पांडेय का नाम की ज्यादा चर्चा है क्योंकि ओपी राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने एक ब्राह्मण चेहरे पर भरोसा जताकर चुनावी मैदान में उतारा है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के सहयोगी रह चुके ओपी राजभर नए मौके तलाशने की फिराक में हैं। निकाय चुनाव के बाद 2024 का लोकसभा चुनाव है। ऐसे में वह अपनी राजनीतिक पैठ को परखने की कोशिश कर रहे हैं। ओबीसी वर्ग के हितैषी बनने वाले राजभर अब ब्राह्मण चेहरे को चुनावी मैदान में उतारकर सामान्य वर्ग के लोगों के बीच एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इससे पहले भाजपा से हुई उनकी नजदीकियों ने तमाम तरह के कयासों को हवा दी लेकिन बात न बनने पर उन्होंने निकाय चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला लिया। राजनीतिक बैकग्राउंड न होने के बावजूद अलका पांडेय को टिकट देकर खुद को ब्राह्मणों का हितैषी जता रहे हैं।

ब्राह्मणों में अपनी पैठ बनाने की कर रहे कोशिश!

राजभर के इस दांव के बाद से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पूर्वांचल इलाके से राजनीति शुरू करने वाले राजभर अब अवध में भी ब्राह्मणों के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह भी है कि उन्होंने ब्राह्मण कार्ड खेला है। लेकिन जिस तरह से ओपी राजभर ने अलका पांडेय को प्रत्याशी घोषित किया है उससे एक बात तो साफ कि वह लखनऊ की सीट पर जीत भले ही न दर्ज कर पाएं लेकिन कुछ अन्य विपक्षी दलों के वोटबैंक पर सेंधमारी करने का काम जरूर करेंगे। चर्चा यह भी है कि वह ब्राह्मणों के बीच अपनी राजनीति का एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं।

इन मुद्दों के साथ निकाय चुनाव लड़ रही सुभासपा

ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि भगवान राम और कृष्ण की धरती पर शराबबंदी इस चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा। इसी के साथ उनकी पार्टी पत्रकार आयोग गठन के मुद्दे को भी लेकर जनता के सामने जाएगी। इस चुनाव में घरेलू बिजली बिल माफी भी एक मुद्दा बड़ा होगा। एक सामान फ्री शिक्षा की मांग को भी उनकी पार्टी इस चुनाव में उठाने की कोशिश करेगी। राजभर ने कहा कि हम भाजपा, सपा, बसपा सबकी चुनौती स्वीकार करके चुनाव लड़ रहे हैं। जल्द ही अन्य नगर निकाय उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करेगी।

‘सपा बीजेपी की है A टीम’

राजभर ने कहा कि हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है। सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्‍होंने कहा कि असल हम ही लोगों के लिए चुनौती हैं। हमसे सपा को चिंता है। सपा हमें BJP की C टीम बता रहे हैं, लेकिन सपा BJP की A टीम है। अखिलेश ममता, केसीआर से समझौता कर यूपी में कितने वोट पाएंगे? रामगोपाल अपराधियों की पैरवी के लिए सीएम से मिले तो अखिलेश को पीड़ा नहीं हुई। हम अगर किसी के हक़-उत्पीड़न के लिए मिलते हैं तो अखिलेश को बुरा लगता है। अखिलेश भाजपा को जिताने के लिए A टीम बना रहे हैं। अगर वाकई दलितों की चिंता है तो दलित को पीएम क्यों नहीं बना रहे।

भाजपा से संबंध सुधारने की कोशिश में लगे थे राजभर

सपा से गठबंधन टूटने के बाद से ही राजभर और भाजपा के खराब संबंध सुधरने शुरू हो गए थे। मौके-मौके पर दोनों तरफ से इसके संकेत भी दिए गए। बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हुए नोंकझोक के दौरान राजभर जिस तरह से सरकार के पक्ष में खड़े दिखे और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की घेरेबंदी की, उससे भी भाजपा और सुभासपा के बीच सियासी खिचड़ी पकने के संकेत मिल रहे थे।

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